भारत पर महमूद गजनबी के प्रमुख आक्रमण (Major invasions of Mahmoud Ghajnavi on India)
राज्य शासक | वर्ष | संबंधित विशिष्ट तथ्य |
जयपाल (हिंदू शाही वंश पश्चिमोत्तर पाकिस्तान तथा पूर्वी अफगानिस्तान) | 1001 ई. | जयपाल पराजित होकर बंदी बना |
शाही राजधानी वैहिंद/उद्भाण्डपुर ध्वस्त कर दी गई| धन तथा हाथी देकर जयपाल मुक्त हुआ |
अपमानित ने जयपाल ने आत्महत्या कर ली
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फतह दाऊद (मुल्तान) | 1004 ई. | मुल्तान पर अधिकार कर लिया गया|
शासक करमाथी जाति का था और शिया पंथ मानता था |
दाऊद को हटाकर जयपाल के पुत्र और आनंदपाल के पौत्र सुखपाल को गद्दी दी|
सुखपाल मुसलमान बना (नौशाशाह) परंतु पुनः हिंदू बना अत: महमूद ने इसे हटाकर बंदी बनाया |
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आनंदपाल (हिंदू शाही वंश) | 1008 ई. | शाहियों ने नंदना को अपनी नई राजधानी बनाया | जो साल्टरेंज में स्थिति थी | महमूद ने नंदना को नष्ट किया तथा आनंदपाल ने समर्पण किया |
नगरकोट (कांगड़ा) | 1009 ई. | पहाड़ी राज्य कांगड़ा के नगरकोट पर आक्रमण |
कोई लड़ने नहीं आया |
अपार धन लूट के रुप में प्राप्त हुआ |
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दिद्दा (कश्मीर) लोहार वंश | 1015 ई. | लोहार वंशीय शासिक दिद्दा
महमूद पराजित हुआ (संभवत प्रतिकूल मौसम के कारण)
यह भारत में महमूद की प्रथम पराजय थी |
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मथुरा, वृंदावन | 1015 ई. | क्षेत्रीय कलचुरी शासक कोकल द्वितीय पराजित हुआ |
महमूद ने हिंदू तीर्थ स्थलों में भारी लूटपाट और तोड़फोड़ की और मथुरा तथा वृंदावन का पूर्णतःविध्वंस कर दिया गया |
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कन्नौज | 1015 ई. | प्रतिहार शासक राज्यपाल बिना युद्ध किए ही भाग गया |
राज्यपाल को दंडित करने हेतु कलिंजर के शक्तिशाली चंदेल शासक विद्याधर ने शासकों का एक संघ बनाया |
कन्नौज की गद्दी पर त्रिलोचन पाल को बिठाया गया |
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बुंदेलखंड | 1019 ई. | बुंदेलखंड (राजधानी कलिंजर) के चंदेल शासक विद्याधर ने एक विशाल सेना जुटाई महमूद सेना देखकर विचलित हो गया और कोई निर्णायक युद्ध नहीं हुआ | |
- | 1021 ई. | पुनः आमना सामना हुआ परंतु कोई निर्णायक युद्ध नहीं हुआ |
विद्याधर स्वता ही एक मासिक कर देने को सहमत हो गया |
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सोमनाथ | 1025 ई. | काठियावाड़ का शासक भीमदेव बिना युद्ध किए ही भाग गया पवित्र शिव मंदिर नष्ट करके भयंकर कत्लेआम मचाया गया और आपार लूट सामग्री प्राप्त की गई |
कुछ विद्वानों का मानना है कि महमूद ने 1027 ईस्वी में जाटों के विरुद्ध आक्रमण किया जो उसका भारत पर अंतिम आक्रमण था |
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