अन्नप्राशन संस्कार | इसमें शिशु को छठे माह में अन्न खिलाया जाता है | |
चूड़ाकर्म संस्कार | शिशु के तीसरे से आठवें वर्ष के बीच कभी भी मुंडन कराया जाता था | |
कर्णभेद संस्कार | रोगों से बचने हेतु आभूषण धारण करने के उद्देश्य से किया जाता था | |
विद्यारंभ संस्कार | 5वे वर्ष में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराया जाता था | |
उपनयन संस्कार | इस संस्कार के पश्चात बालक द्विज हो जाता था | इस संस्कार के बाद बच्चे को संयमी जीवन व्यतीत करना पड़ता था | बच्चा इसके बाद शिक्षा ग्रहण करने के योग्य हो जाता था | |
वेदारंभ संस्कार | वेद अध्ययन करने के लिए किया जाने वाला संस्कार |
केशांत संस्कार | 16 वर्ष हो जाने पर प्रथम बार बाल कटाना | |
गर्भाधान संस्कार | संतान उत्पन्न करने हेतु पुरुष एवं स्त्री द्वारा की जाने वाली क्रिया | |
पुंसवन संस्कार | प्राप्ति के लिए मंत्त्रोच्चारण |
सीमानतोनयन संस्कार | गर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा हेतु किए जाने वाला संस्कार | |
जातकर्म संस्कार | बच्चे के जन्म के पश्चात पिता अपने शिशु को ध्रत या मधु चटाता था बच्चे की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की जाती थी | |
नामकरण संस्कार | शिशु का नाम रखना | |
निष्क्रमण संस्कार | बच्चे के घर से पहली बार निकलने के अवसर पर किया जाता था | |
समावर्तन संस्कार | विद्याध्ययन समाप्त कर घर लौटने पर किया जाता था यह ब्रह्मचर्य आश्रम की समाप्ति का सूचक था | |
विवाह संस्कार | वर वधु के परिणय सूत्र में बंधने के समय किया जाने वाला संस्कार | |
अंत्येष्टि संस्कार | निधन के बाद होने वाला संस्कार | |
Wednesday, June 27, 2018
वैदिक काल में होने वाले सोलह संस्कार
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