Wednesday, June 27, 2018

वैदिक काल में होने वाले सोलह संस्कार

अन्नप्राशन संस्कारइसमें शिशु को छठे माह में अन्न खिलाया जाता है |
चूड़ाकर्म संस्कारशिशु के तीसरे से आठवें वर्ष के बीच कभी भी मुंडन कराया जाता था |
कर्णभेद संस्काररोगों से बचने हेतु आभूषण धारण करने के उद्देश्य से किया जाता था |
विद्यारंभ संस्कार5वे वर्ष में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराया जाता था |
उपनयन संस्कारइस संस्कार के पश्चात बालक द्विज हो जाता था | इस संस्कार के बाद बच्चे को संयमी जीवन व्यतीत करना पड़ता था | बच्चा इसके बाद शिक्षा ग्रहण करने के योग्य हो जाता था |
वेदारंभ संस्कारवेद अध्ययन करने के लिए किया जाने वाला संस्कार
केशांत संस्कार16 वर्ष हो जाने पर प्रथम बार बाल कटाना |
गर्भाधान संस्कारसंतान उत्पन्न करने हेतु पुरुष एवं स्त्री द्वारा की जाने वाली क्रिया |
पुंसवन संस्कारप्राप्ति के लिए मंत्त्रोच्चारण
सीमानतोनयन संस्कारगर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा हेतु किए जाने वाला संस्कार |
जातकर्म संस्कारबच्चे के जन्म के पश्चात पिता अपने शिशु को ध्रत या मधु चटाता था बच्चे की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की जाती थी |
नामकरण संस्कारशिशु का नाम रखना |
निष्क्रमण संस्कारबच्चे के घर से पहली बार निकलने के अवसर पर किया जाता था |
समावर्तन संस्कारविद्याध्ययन समाप्त कर घर लौटने पर किया जाता था यह ब्रह्मचर्य आश्रम की समाप्ति का सूचक था |
विवाह संस्कारवर वधु के परिणय सूत्र में बंधने के समय किया जाने वाला संस्कार |
अंत्येष्टि संस्कारनिधन के बाद होने वाला संस्कार |

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