समास (Samas in Hindi)
- समास का शाब्दिक अर्थ होता है - संक्षिप्त या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने शब्द को समास कहते हैं |
- समास में दो शब्दों का योग होता है जबकि संधि में दो वर्णों का योग होता है समाज के कुल भेद इस प्रकार है |
प्रमुख समास | पद की प्रधानता | |
1. | अव्ययी भाव समास | पूर्व पद प्रधान होता है | |
2. | तत्पुरुष समास में | उत्तर पद प्रधान होता है | |
(क) | कर्मधारय समास में | उत्तर पद प्रधान होता है | |
(ख) | द्विगु समास में | उत्तर पद प्रधान होता है | |
3. | द्वंद समास में | दोनों पद प्रधान होते है | |
4. | बहुव्रीहि समास में | दोनों पद अप्रधान होते हैं | |
- अव्ययीभाव समास (Awyavi bhav samas in Hindi) - इसका पहला पद प्रधान होता है और सामासिक पद अव्यय होता है |
उदाहरण - यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार, आजजन्म-जन्म तक, परोक्ष से परे, प्रत्येक एक-एक के प्रति, भरपेट पेट भर बारंबार बार-बार |
2. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas in Hindi) - इसमें पहला पद गौण होता है और अंतिम पद की प्रधानता होती है, इसमें प्रथम पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है | कारण चिन्हों के अनुसार इसमें छह भेद होते हैं |
- द्वितीय तत्पुरुष समास (Dwitiy Tatpurush Samas in Hindi)(कर्म तत्पुरुष से)
माखन चोर - माखन को चुराने वाला, चिड़िमार - चिड़ियों को मारने वाला, स्वर्गप्राप्त - स्वर्ण को प्राप्त करने वाला, पतितपावन - पापियों को पवित्र करने वाला |
- तृतीय तत्पुरुष समास (Tritiya Tatpurush Samas in Hindi)(करण तत्पुरुष को)
ईश्वरदत्त - ईश्वर द्वारा दत्त, मदशून्य - मद से शून्य, श्रमसाध्य - श्रम से साध्य, शोकग्रस्त - शोक से ग्रस्त, नेत्रहीन - नेत्र से हीन |
- चतुर्थी तत्पुरुष समास (Chaturthi Tatpurush Samas in Hindi) (संप्रदान तत्पुरुष के लिए)
शिवार्पण - शिव के लिए अर्पण, शिक्षालय - शिक्षा के लिए आलय, देशभक्ति - देश के लिए भक्ति, रसोईघर - रसोई के लिए घर, शरणागत - शरण के लिए आगत |
- पंचमी तत्पुरुष समास (अपादान तत्पुरुष से)
पदच्युत - पद से अलग, बलहीन - बल से हीन, जन्मांध - जन्म से अंधा, ऋणमुक्त - ऋण से मुक्त, दूरागत - दूर से आगत |
- षष्ठी तत्पुरुष समास (संबंध तत्पुरुष का, की, के)
देशसुधार - देश का सुधार, चंद्रोदय - चंद्रमा का उदय, गंगाजल - गंगा का जल, राजभवन - राजा का भवन |
- सप्तमी तत्पुरुष समास (अधिकरण तत्पुरुष - में, पे, पर)
पुरुषोत्तम - पुरुषों में उत्तम, स्वर्गवासी - स्वर्ग में बसने वाला |
आपबीती - अपने पर बीती, जलमग्न - जल में मगन |
कविश्रेष्ठ - कवियों में श्रेष्ठ |
3. कर्मधारय समास - जिसमें पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है | उपमेय एवम उपमान से मिलकर भी कर्मधारय समास बनता है |
उदाहरण - महाकवि - महान है जो कवि, नीलाम्बर - नीला है जो अम्बर, सन्मार्ग सत् है मार्ग जो, महात्मा - महान है आत्मा जो, चरण कमल - कमल के सदृश चरण |
4. द्विगु समास - जिस समास के प्रथम पद संख्यावाची होता है और उससे समूह का बोध होता है |
उदाहरण - अष्टाध्यायी आठ अध्यायों का समाहार, नवग्रह - नौ ग्रहों का समूह, सतसई -सात सौ का समाहार, त्रिकोण - तीन कोण, दोपहर - दो पहरों का समाहार |
5. द्वंद समास - द्वंद का अर्थ है - जोड़ा इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं | दोनों के बीच योजक चिन्ह और छिपा होता है |
उदाहरण - रामकृष्ण - राम और कृष्णा, पितारौ - माता और पिता, रात-दिन - रात और दिन, पाप-पुण्य - पाप और पुण्य, राधाकृष्ण - राधा और कृष्ण |
6. बहुव्रीहि समास - इसमें दोनों पद प्रधान ना होकर अन्य पद प्रधान होता है अर्थात इसका सामासिक पद इनमें भिन्न होता है |
उदाहरण - पीतांबर - पीत है अंबर जिसका अर्थ है श्री कृष्णा, शतुरमुर्ग - चार है मुख जिसका अर्थ है ब्रह्मा, जलज - जल से उत्पन्न होता है जो कमल, चंद्रशेखर - चंद्र है शिखर पर जिसका अर्थ है शिव, लंबोदर - लंबा है उदर जिसका अर्थ है गणेश |
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